प्रदेश में इंजीनियरिंग करने वाले छात्रों में आ रही कमी की वजह से कॉलेज संचालक फिर से अपने यहां की करीब 10 प्रतिशत सीटें सरेंडर करने की तैयारी में हैं। 2010-11 में इंजीनियरिंग कॉलेजों की सीटें एक लाख से ज्यादा होती थीं। इनमें हर साल दाखिले भी 70-75 हजार के आसपास हो जाते थे, लेकिन वर्तमान में इंजीनियरिंग की सीटें 40 फीसदी तक कम हो गई है।
इधर, एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट्स ने
मांग की है कि अगर बीई में दाखिले बढ़ाने हैं तो फिर से पीईटी शुरू की जाए। प्री इंजीनियरिंग टेस्ट (पीईटी) 2015 से बंद कर दिया था। इसके बाद जेईई से कॉलेजों में दाखिले होने लगे।
आधी सीटों पर ही हुए एडमिशन
वर्तमान में इंजीनियरिंग की 62 हजार सीटें हैं और दाखिले 35 हजार ही हुए थे। ऐसा 5 साल से हो रहा है। कॉलेज संचालकों के मुताबिक हर साल 10-15% सीटें सरेंडर हो रही हैं, क्योंकि, खर्चे नहीं निकल रहे। इस बार कई कॉलेज 4 हजार के करीब सीटें सरेंडर कर सकते हैं।
पीईटी या सीईटी शुरू की जाए
हम सरकार से कई बार मांग कर चुके हैं कि पीईटी या सीईटी शुरू करें। सीटें खाली रह जाती हैं, इसलिए सरेंडर करना पड़ती हैं। जेईई से छात्र यहां दाखिला नहीं लेते। अगर पीईटी शुरू होगी तो दाखिले बढ़ेंगे। -केसी जैन, अध्यक्ष, एटीपीआई
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