
Click here (उज्ज्वल शर्मा)लॉकडाउन में प्रशासनिक सिस्टम समाज सेवी संस्थाओं के साथ मिलकर भोजन व राशन वितरण कर रहा है। बावजूद इसके कई लोगों ने राशन को लेकर पीएम और सीएम के ऑफिस तक सीधे कॉल कर दी। सिटी के तीन इलाकों प्रेमनगर, जंडली व लक्ष्मीनगर से ही रोजाना 100 से 150 फोन कॉल जा रही हैं। जब प्रशासन के बाद सीएम ऑफिस से फोन आता है तब पता चलता है कि उन्हें पहले से राशन बांटा गया है। प्रशासन का स्टैंड है कि जिन परिवारों (पीले, गुलाबी व खाली राशनकार्ड) वालों को डिपो से फ्री राशन मिल चुका है, उन्हें प्रशासन व समाज सेवी संस्थाओं की ओर से बंटने वाला राशन नहीं दिया जाएगा।
प्रशासन की ओर से बनाए गए राशन वितरण में नोडल भूमिका निभा रहे जिला राजस्व अधिकारी विनोद शर्मा कहते हैं कि कुछ मामलों में तो एक ही परिवार के पांच सदस्य अलग-अलग मोबाइल से सीएम ऑफिस में शिकायत करते हैं। ऐसी कई शिकायतों पर जांच हुई तो पता चला कि ऐसे घरों राशन डिपो से भी राशन मिल चुका है और संस्थाएं भी दे चुकी हैं। डीसी अशोक शर्मा ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन लोगों के बीपीएल कार्ड हैं उन्हें अब राशन नहीं बांटना।
क्योंकि उन्हें डिपो से ही सरकार निशुल्क राशन मुहैया करा रही है। हालांकि राशन न मिलने की कुछ शिकायतें सही भी होती हैं। बरनाला गांव के एक व्यक्ति ने सीधे पीएमओ में कॉल कर दी। सकते में आए प्रशासन ने संबंधित व्यक्ति के घर जाकर राशन पहुंचाया। नारायणगढ़ की एसडीएम अदिति ने घुमंतु परिवारों को राशन अपने हाथ से वितरित किया था। तीन दिन बाद ही उन्होंने शोर मचाना शुरू कर दिया कि उन्हें राशन नहीं मिला है। मामले की जांच कराई तो घुमंतु परिवारों के बिस्तर से अंदर से राशन मिला था।
शुरू में राशन वितरण का हिसाब नहीं रहा, अब ट्रैक हो रही चीजें
लॉकडाउन हुआ तो बहुत सी संस्थाएं सीधे भोजन-राशन बांटने उतर गई। इसी दौरान ऐसे मामले भी सामने आए जब कुछ इलाकों में दो से तीन बार राशन बंट गया। जैसे कैंट में टांगरी बंध के क्षेत्र में पहले गीता गोपाल संस्था ने राशन बांटा, फिर प्रशासन ने दिया और तीसरी बार एक और संस्था राशन देने पहुंच गई। इसकी जिक्र गृहमंत्री अनिल विज ने अफसरों की मीटिंग में किया। इसी के बाद तय हुआ कि संस्थाएं सूखा राशन नहीं बांटेंगी। तैयार भोजन भी प्रशासन की अनुमति के साथ उसी इलाके में देंगी, जो इलाका संस्था को आवंटित किया जाएगा। ताकि सभी को भोजन व राशन मिल सके।
भोजन वितरण में अभी और सिस्टम बनाने की जरूरत
अभी भी कई संस्थाएं प्रशासन की जानकारी के बगैर भोजन वितरण कर रही हैं। जिन इलाकों में सूखा राशन बांटा जा चुका है, वहां भी भोजन वितरण चल रहा है। इसी वजह से कई जगह से शिकायतें भी आ रही हैं कि लोग फोन करके पहले मीनू पूछ रहे हैं कि आज क्या बनाया है। सबसे ज्यादा पूरी छोले, मटर पनीर, मूंग धुली की डिमांड हो रही है। यही नहीं प्रशासन के कंट्रोल रूम में फोन करके दो टाइम चाय की भी डिमांड कर रहे हैं।
माता बाला सुंदरी अन्नपूर्णा ट्रस्ट एवं श्री राधे श्याम मंदिर सिटी के नीतिश गर्ग बताते हैं कि कुछ लोग पहले मीनू पूछते हैं। पसंद न हो तो मना कर देते हैं। शनिवार रात को जलबेहड़ा रोड पर सांई मंदिर के पास से फोन से आया। यह संस्था का एरिया नहीं था। जब खाना देने गए तो काफी देर तक इंतजार करते रहे। उसे कई फोन किए। जब वह आया तो उससे देरी का कारण पूछा तो कहने लगा कि सो गया था। हालांकि जो सच में जरूरतमंद हैं, मजदूर वर्ग है वे न तो मीनू को लेकर फोन करते हैं और जो भोजन दें वही खा लेते हैं।
झूठ बोलने पर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत हो सकता है मामला दर्ज
- धारा 52- मिथक / झूठे दावे
- धारा 53- धन या सामग्रीका दुरुपयोग
0 टिप्पणियां
Hi friends
Emoji